Tuesday, June 30, 2020

Green Park kanpur स्पोर्ट्स विशेष

*स्पोर्टस् विशेष.*
जब आप अपने बच्चों को 15 साल तक शहर के सबसे नामी , सबसे प्रतिष्ठित और सबसे महंगे स्कूल में पढ़ाते हैं.. तो क्या आप उस स्कूल से , समाज से , या सरकार से अपने बच्चे के लिए एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी मांगते हैं ??????
फिर जब आप उसे एक बेहद महंगे प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज, या मैनेजमेंट कॉलेज में लाखों रु खर्च कर पढ़ने भेजते हैं , तो क्या उस कॉलेज से या समाज से या सरकार से अपने बच्चे के लिए एक सुरक्षित भविष्य और career की गारंटी मांगते हैं ?????
आप कम से कम 16 - 18 साल तक अपने बच्चे को दिन रात, पान के पत्ते की माफ़िक सेते हैं , और अपने गाढ़े पसीने और खून की कमाई खर्च कर देते है , 
फिर एक दिन आपको पता लगता है कि आपके बच्चे को तो कोई 7000 रूपए की नौकरी भी नहीं दे रहा ..........
भारत का एजुकेशन सिस्टम अपने students को career और भविष्य की कोई गारंटी नहीं देता , इसके बावजूद मैंने आज तक एक भी आदमी नहीं देखा जो इसकी विश्वसनीयता पे सवाल उठाये । 
आखिर लोग Btech और Mtech कर के भी तो बिल्डिंग Material जैसे गिट्टी बालू और cement बेच रहे हैं ........ 
5 साल दिल्ली, मुंबई, कोटा,इंदौर में IAS की कड़ी तैयारी करने वागselection न होने के बाद एक दिन पेट पालते नौकरी व्यवसाय करते नज़र आते ही हैं ।
 *तो फिर लोग खिलाड़ियों के लिए ही क्यों सुरक्षित भविष्य की गारंटी मांगते हैं??? ?*
आप competitive Sports को सिर्फ Medal और सरकारी नौकरी से ही क्यों तौलते हैं ?
जिस किसी व्यक्ति ने दो चार साल competitive sports की है , उस से बात करके देखिये ...... 
  पर sports का नशा सारी ज़िन्दगी तारी रहता है जनाब ........
उसका खुमार ता उम्र रहता है ........
 कैसा भी शौक हो...
चाहे वो प्रेमी प्रेमिका हो..
कुछ दिन में सबका भूत उतर जाता है ....... 
सिर्फ और सिर्फ Sports का एक नशा ऐसा होता है जिसकी खुमारी में आदमी सारी ज़िन्दगी जीता है ........ 
 कोई खिलाडी जिसने किसी Sport में 4-5 साल दिए हैं, उस खिलाड़ी से बात करके देखिये ........ 
वो आपको बताएगा कि मैदान में खेलते , हारते जीतते और victory stand पे बिताए हुए पल , उसकी ज़िन्दगी के सबसे हसीन पल थे ......... 
 किसी पूर्व खिलाड़ी से बात कीजिये....
वो आपको बताएगा कि उसे आज भी, 20 - 25 बरस बाद भी उन दिनों के सपने आते हैं , जब वो खेलता था .........
 किसी खिलाड़ी कोकिसी खिलाड़ी को Time Machine में डाल दीजिये , मानो उसे अपना जीवन फिर से जीने का मौक़ा मिले , तो खिलाड़ी अपना नया जीवन भी उसी ground से शुरू करना चाहेगा .......
ये है Sports ........ 
Sports को सिर्फ और सिर्फ Medal और नौकरी से जोड़ के मत देखिये । 
ये एक जीवन शैली है ........ ये वो अलौकिक सुख है जिसे प्राप्त करने का अधिकार हर बच्चे को है । अपने बच्चे को इस सुख से वंचित मत कीजिये ।
उसे Sports कराइये । 
Professional न सही , शौकिया ही सही ।
Olympic न सही, तो District या State level की ही सही। 
पर अपने बच्चे को खेलने का मौक़ा दीजिये ।
प्रोफेशनल sports के लिए रोज़ाना 4 - 8 घंटे की ट्रेनिंग की ज़रूरत होती है ।
शौकिया स्पोर्ट्स के लिए सिर्फ एक घंटा भी काफी है!
 Let your child play ......... and enjoy Life
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